राजीव दिक्षित जी की पूरी जीवनी:-


मैं भारत को भारतीय मान्यताओं और परम्पराओं के आधार पर खड़ा करना चाहता हूँ तथा उसी काम मे लगा हूँ|



जब जब भारत को पापियों ने नष्ट करने की चेष्टा की है तब तब भारत माँ की गोद ने ऎसे सपूतों को जन्म दिया है जिन्होंने भारत माँ की रक्षा करते हुए अपना बलिदान दे दिया ऎसे ही एक सपूत का जन्म 30 नवम्बर 1967 गुरूवार रात के लगभग 12:30 बजे भारत की भूमि पर उत्तरप्रदेश में अलीगढ़ जिले के नाह गाँव में माता मिथिलेश कुमारी दीक्षित और पिता राधेश्याम दीक्षित के सुपूत्र का जन्म हुआ जिनका नाम राजीव दीक्षित रखा गया उनके परिवार में उनके पिताजी पूर्व बी.डी.ओ. ऑफिसर रहे हैं राजीव दीक्षित जी के दादा व दादी जी ने स्वतंत्रता संग्राम में अपना योगदान भी दिया था । राजीव दीक्षित जी का बचपन उनके गाँव में गुजरा और उनकी प्राथमिक शिक्षा माध्यमिक शिक्षा और उच्च माध्यमिक शिक्षा फिरोजाबाद के पी.डी. जैन इंटरकॉलेज में पूरी हुई । राजीव जी बचपन से ही देशप्रेमी थे इसके साथ - साथ वह क्रांतिकारियों से बड़ा प्रेरित थे उनके अंदर क्रांतिकारियों के सपनों को पूरा करने की आकांक्षा थी । अपनी उच्च माध्यमिक की शिक्षा पूरी करने के बाद वे इलाहाबाद गए वहाँ उन्होंने 1984 में अपनी बी. टैक की पढाई इलाहाबाद के जे. के. इंस्टीट्यूट आॅफ अप्लाइड फिजिक्स एण्ड टेक्नोलॉजी में शुरू की थी। वे इलेक्ट्रॉनिक्स और टेलीकम्युनिकेशन में उच्च शिक्षा प्राप्त करना चाहते थे । तभी उन दिनों राजीव जी का " भोपाल गैस हत्याकांड " से पीड़ित कुछ लोगों से मिलना हुआ उनकी पीड़ा देख कर और उन्हें न्याय दिलाने हेतु वे यूनियन कार्बाइड कम्पनी को देश से भगाने के लिए कार्य करने लगे। इसी दौरान उनकी बी.टैक. की पढाई अधूरी छुट गई । इसी बीच राजीव जी फ्रांस गए अपने रीसर्च के सम्बन्ध में जहाँ वे नीदरलैंड की राजधानी अम्सडम गए वहाँ उन्होंने अपना रीसर्च पेपर पढने का मौका मिला। उन्होंने अपना रीसर्च पेपर अंग्रेजी में पढना शुरू ही किया था कि अचानक एक डच वैज्ञानिक ने उनसे प्रश्न पूछा कि आपकी मातृभाषा क्या है? राजीव जी ने उत्तर दिया हिन्दी। वैज्ञानिक ने वापस प्रश्न पुछा कि आपको अपना रीसर्च पेपर हिन्दी में पढना चाहिए तब राजीव जी के पास कोई उत्तर नहीं था क्योंकि उन्होंने किसी भी रीसर्च पेपर की तैयारी हिन्दी में नहीं की थी । उस दिन के बाद राजीव भाई ने हिन्दी बोलना शुरू किया ( सीखना शुरू किया ) । भारत लौटने के पश्चात राजीव दीक्षित जी ने ये फैसला किया कि विदेशी कम्पनियों के हो रहे अत्याचार और भयंकर लूट से देश को बचाने के लिए एक बङे आंदोलन की आवश्यकता है तब उन्होंने अपने कुछ मित्रों के साथ मिलकर आजादी बचाओ आंदोलन का आविर्भाव सन् 1984 मे किया । राजीव दीक्षित जी व उनके साथियों ने यूनीयन कार्बाइड जैसी कई विदेशी कम्पनियों के भारत से भगाया। सन् 1991 में डंकल प्रस्ताव के खिलाफ घूम - घूम कर जनजागृति की और रैलियां निकाली, यह डंकल प्रस्ताव भारत के लिए घातक होने वाला था क्योंकि इस प्रस्ताव के पश्चात अनेक विदेशी कम्पनियां को भारत को लूटने की खुली छूट मिल जाती फिर जो अार्थर डंकल जो गैट करार का प्रमुख था गैट करार पर हस्ताक्षर करवाने के लिए भारत आया तब राजीव जी और उन्के आजादी बचाओ आंदोलन के कार्यकर्ताओं नें अार्थर डंकल को दिल्ली हवाईअड्डे में पीटा था जिनके लिए उन्हें तिहाड़ जेल जाना पङा था । वहाँ उनकी मुलाकात किरण बेदी जी से हुई । फिर कोकाकोला और पैप्सी, शराब जैसी हानिकारक पेय पदार्थों के खिलाफ अभियान चलाया और कानूनी कार्यवाही भी की। सन् 1991 में राजस्थान के अलवर जिले में केडिया विल्सन कम्पनी के शराब कारखानों को बंद करवाने में अहम भुमिका निभाई थी । इस घटना में गोलियाँ भी चलाई गई जो कि उनके पास खङे साथी को लग गई थी फिर भी उन्होने हार नहीं मानी। उन्होंने गाँववासियों को ऎसा प्रोत्साहन किया कि अंत में उन्हीं की जीत हुई । सन् 1995 में राजीव दीक्षित जी ने उत्तराखण्ड में टिहरी बाँध के खिलाफ ऐतिहासिक मोर्चा और संघर्ष किया जहाँ भयंकर लाठीचार्ज में काफी चोटें भी आई लेकिन फिर भी संघर्ष जारी रहा किन्तु अंत में भारत सरकार ने बल पूर्वक बाँध बनवाया यह बाँध 2006 में बना । सन् 1997 में राजीव दीक्षित जी के जीवन में एक और मोड़ आया जब उनका मिलना प्रख्यात इतिहासकार धर्मपाल जी से सेवाग्राम, वर्धा में हुआ । धर्मपाल जी यूरोप में काफी वर्ष अध्यापक रहे थे । उनके सानिध्य में रहकर अंग्रेजों के समय के इतिहासकार दस्तावेजों का अध्ययन करके देश को जागरूक करने का काम किया और ऎसे दस्तावेज लोगों के सामने रखे जिन्हें लोगों ने पहले कभी नहीं सुना था क्योंकि यह सारे दस्तावेज धर्मपाल जी ने इंगलैंड की लाइब्रेरी से काफी मेहनत के साथ इकट्ठे किये थे ।राजीव जी ने घूम घूम कर देशभर में भारत का गौरवशाली और ऎसा सच्चा इतिहास लोगों को बताया जो पहले किसी को पता नहीं था । राजीव जी कहते थे कि अंग्रेजों ने 34735 कानून भारत को लूटने और अत्याचार करने के लिए बनाया था और तथाकथित आजादी के बाद भी भारत सरकार वही अंग्रेजों के बनाए हुए 34735 कानून आज भी चला रही है और यही कारण है कि भारत में आज भी भ्रष्टाचार, गरीबी, बेकारी और भूखमरी जैसी समस्याएं हैं। उन्का कहना था कि 15 अगस्त 1947 में सिर्फ कानून के द्वारा सत्ता का हस्तांतरण हुआ था स्वतंत्रता नहीं आई थी। स्वतंत्रता का अर्थ होता है अपने बनाए हुए तंत्र और व्यवस्था में जीना लेकिन 1947 के बाद एक भी एसा तंत्र नहीं बना जो अपना हो। वे कहते थे अंग्रजों ने इंगलैंड की संसद में इंडियन इंडिपेंडेंस एक्ट 1947 नामक कानून बनाकर अपने शर्तों पर काले अंग्रेजों को देश सौंपा था। इसी कानून में लिखा गया था कि भारत इंगलैंड का डोमिनियन स्टेट होगा राजीव जी कहते थे टैक्स के रूप में सरकार जो पैसा इकट्ठा करती है उसमें से अधिकतर भ्रष्टाचार और सरकार के अधिकारियों को वेतन देने में ही चला जाता है और थोड़ा बहुत जो भी विकास होता है वो बाहर के देशों या विश्व बैंक से कर्ज लेकर होता है। राजीव दीक्षित जी पहले व्यक्ति थे जिन्होंने स्विस और अन्य बैंकों में भारत के जमा काले धन को भारत की सम्पत्ति घोषित कर भारत में लाया जाए और उस जमा काले धन को भारत के विकास में लगाया जाए ऎसा कहना था। राजीव जी कहते थे कि नेपाल जैसे देश ने स्विस बैंक में जमा काले धन को उनके देश की सम्पत्ति घोषित कर 5 अरब डाॅलर मंगा चुके हैं। इसके साथ साथ अमेरिका, फिलीपीन जैसे देश भी अपना कालाधन अपने देश में ला चुके हैं। राजीव दीक्षित जी ने एलोपैथी के लूटतंत्र को देखकर फैसला किया कि वो आयुर्वेद का अध्ययन करेंगे और उन्होंने कई महान आयुर्वेद ज्ञाताओं की पुस्तकों की लगभग 5 वर्ष तक अध्ययन किया और वाग्भट जी के ग्रंथ अष्टांग ह्र्दयम् और अष्टांग संग्रहम़ पर आधारित 3 पुस्तकें भी लिखी। स्वदेशी चिकित्सा भाग 1 , 2 , 3 ।वे लोगों को घूम - घूम कर आयुर्वेद का ज्ञान फ्री में देते थे। उनका कहना था कि ज्ञान तो फ्री में ही देने के लिए होता है । उन्होंने किसानों के लिए भी जैविक खेती के लिए सुत्र बनाए ।


1998 मे राजीव भाई ने कुछ गौ समितियो के साथ मिलकर गौ हत्या रोकने के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट मे मुकदमा दायर कर दिया कि गौ हत्या नहीं होनी चाहिए ! सामने बैठे कुरैशी कसाइयो ने कहा क्यों नहीं होनी चाहिए। उनको कोर्ट मे साबित ये करना था की गाय की हत्या कर मांस बेचने से ज्यादा लाभ है या बचाने से ! कसाइयो की तरफ से लड़ने वाले भारत के सभी बड़े -बड़े वकील जो 50-50 लाख तक फीस लेते हैं। सोली सोराबजी की बीस लाख की फीस है !, कपिल सिब्बल 22 लाख की फीस है ! महेश जेठमालानी, राम जेठ मालानी का लड़का जो फीस लेते है 32 लाख से 35 लाख। सारे सभी बड़े वकील कसाइयों के पक्ष में ! और इधर राजीव भाई जैसे लोगो के पास कोई बडा वकील नहीं था क्योंकि इतना पैसा नहीं था ! तो इन लोगो ने अपना मुकदमा खुद ही लडा !!(इस मुकद्दमे की पूरी जानकारी आपको राजीव भाई के व्याख्यान जिसका नाम गौ हत्या और राजनीति) मे मिल जाएगी !! हाँ इतना आपको जरूर बता दें 2005 मे मुकदमा राजीव भाई और उनके कार्यकर्ताओ ने जीत लिया ! राजीव भाई अदालत मे गाय के एक किलो गोबर से 33 किलो खाद तैयार करने का फॉर्मूला बताया और अदालत के सामने करके भी दिखया जिससे रोज की 1800 से 2000 रुपए की रोज की कमाई की जा सकती है ! ऐसे ही उन्होने गौ मूत्र से बनने वाली औषधियों का आर्थिक मूल्यांकन करके बताया ! और तो और उन्होने सुप्रीम कोर्ट के जज की गाडी गोबर गैस से चलाकर दिखा दी ! जज ने तीन महीने गाडी चलाई और ये सब देख अपने दाँतो तले उंगली दबा ली !

अधिक जानकरी आपको राजीव भाई के व्याख्यान मे मिलेगी ! राजीव भाई को जब पता चला कि रासायनिक खाद बनाने वाली कंपनियो के बाद देश की सबसे अधिक हजारों करोड रुपए की लूट दवा बनाने वाली सैंकडों विदेशी कंपनियाँ कर रही है और इसके इलावा ये बड़ी - बड़ी कंपनियाँ वो दवाये भारत मे बेच रहे है जो अमेरिका और यूरोप के बहुत से देशों मे बैन है और जिससे देशवासियो को भयंकर बीमारियाँ हो रही है। तब राजीव भाई ने इन कंपनियो के खिलाफ भी आंदोलन शुरू कर दिया ! राजीव भाई ने आयुर्वेद का अध्ययन किया और 3500 वर्ष पूर्व महाऋषि चरक के शिष्य वागभट्ट जी को महीनों महीनों तक पढा !और बहुत ज्ञान अर्जित किया !

फिर घूम घूम कर लोगो को आयुर्वेदिक चिकित्सा के बारे मे बताना शुरू किया कि कैसे बिना दवा खाये आयुर्वेद के कुछ नियमो का पालन कर हम सब बिना डॉक्टर के स्वस्थ रह सकते है और जीवन जी सकते है।

इसके अलावा हर व्यक्ति अपने शरीर की 85: चिकित्सा स्वंय कर सकता है !राजीव भाई खुद इन नियमो का पालन 15 वर्ष से लगातार कर रहे थे जिस कारण वे पूर्ण स्वस्थ थे 15 वर्ष तक किसी डॉक्टर के पास नहीं गए थे ! वो आयुर्वेद के इतने बड़े ज्ञाता हो गए थे कि लोगो की गम्भीर से गम्भीर बीमारियाँ जैसे शुगर, बीपी, दमा, अस्थमा, हार्ट ब्लोकेज, कोलेस्ट्रोल आदि का इलाज करने लगे थे और लोगो को सबसे पहले बीमारी होने का असली कारण समझाते थे और फिर उसका समाधान बताते थे ! लोग उनके हेल्थ के लेक्चर सुनने के लिए दीवाने हो गए थे इसके इलावा वो होम्योपैथी चिकित्सा के भी बड़े ज्ञाता थे। होम्योपैथी चिकित्सा मे तो उन्हे डिग्री भी हासिल थी !!


एक बार उनको खबर मिली कि उनके गुरु धर्मपाल जी को लकवा का अटैक आ गया है और उनके कुछ शिष्य उनको अस्पताल ले गए थे ! राजीव भाई ने जाकर देखा तो उनकी आवाज पूरी जा चुकी थी हाथ पाँव चलने पूरे बंद हो गए थे ! अस्पताल मे उनको बांध कर रखा हुआ था ! राजीव भाई धर्मपाल जी को घर ले आए और उनको एक होम्योपैथी दवा दी। मात्र 3 दिन में उनकी आवाज वापस आ गई और एक सप्ताह मे वो वैसे चलने फिरने लगे कि कोई देखने वाला मानने को तैयार नहीं था कि इनको कभी लकवा का अटैक आया था ! कर्नाटक राज्य में एक बार बहुत भयंकर चिकन-गुनिया फैल गया, हजारो की संख्या मे लोग मरे ! राजीव भाई अपनी टीम के साथ वहाँ पहुँच कर हजारो हजारो लोगो का इलाज किये, मृत्यु से बचाया ! ये देख कर कर्नाटक सरकार ने अपनी डॉक्टरों की टीम राजीव भाई के पास भेजी और कहा कि जाकर देखो कि वो किस ढंग से इलाज कर रहे हैं !


(अधिक जानकारी के लिए आप राजीव भाई के हेल्थ के लेक्चर सुन सकते हैं। घंटो घंटो उन्होने स्वस्थ रहने और रोगो की चिकित्सा के व्याख्यान दिये है)


इसके इलावा राजीव भाई ने यूरोप और भारत की सभ्यता संस्कृति और इनकी भिन्नताओं पर गहरा अध्ययन किया और लोगो को बताया कि कैसे भारतवासी यूरोप के लोगो की मजबूरी को अपना फैशन बना रहे है और कैसे उनकी नकल कर बीमारियो के शिकार हो रहे है ! राजीव भाई का कहना था कि देश मे आधुनिकीकरण के नाम पर पश्चिमीकरण हो रहा है ! और इसका एक मात्र कारण देश मे चल रहा अंग्रेज मैकॉले का बनाया हुआ indian education system है ! क्योकि आजाद भारत मे सारे कानून अंग्रेजो के चल रहे हैं इसी लिए ये मैकॉले द्वारा बनाया गया शिक्षा तंत्र भी चल रहा है ! राजीव भाई कहते थे कि इस अंग्रेज मैकॉले ने जब भारत का शिक्षा तंत्र का कानून बनाया और शिक्षा का पाठ्यक्रम तैयार किया तब इसने एक बात कही कि मैंने भारत का शिक्षा तंत्र ऐसा बना दिया है की इसमें पढ के निकलने वाला व्यक्ति शक्ल से तो भारतीय होगा पर अक्ल से पूरा अंग्रेज होगा। उसकी आत्मा अंगेजों जैसी होगी, उसको भारत की हर चीज मे पिछडापन दिखाई देगा ! और उसको अंग्रेज और अंग्रेजियत ही सबसे बढिया लगेगी !

इसके इलावा राजीव भाई का कहना था कि इसी अंग्रेज मैकॉले ने भारत की न्याय व्यवस्था को तोड कर IPC, CPC जैसे कानून बनाये और उसके बाद ब्यान दिया की मैंने भारत की न्याय पद्धति को ऐसा बना दिया है कि इसमे किसी गरीब को इंसाफ नहीं मिलेगा ! सालों साल मुकदमे लटकते रहेंगे !! मुकदमो के सिर्फ फैंसले आएंगे न्याय नहीं मिलेगा !! इस अंग्रेजी शिक्षा पद्धति और अंग्रेजी न्यायव्यवस्था के खिलाफ लोगो को जागरूक करने के लिए राजीव भाई ने मैकॉले शिक्षा और भारत की प्राचीन गुरुकुल शिक्षा पर बहुत व्याख्यान दिये और इसके अतिरिक्त अपने एक मित्र आजादी बचाओ आंदोलन के कार्यकर्ता पवन गुप्ता जी के साथ मिल कर एक गुरुकुल की स्थापना की वहाँ वो फेल हुए बच्चो को ही दाखिल करते थे कुछ वर्ष उन बच्चो को उन्होने प्राचीन शिक्षा पद्धति से पढाया ! और बच्चे बाद मे इतने ज्ञानी हो गए की आधुनिक शिक्षा मे पढे बडे बडे वैज्ञानिक उनके आगे नतमस्तक थे !

राजीव जी ने रामराज्य की कल्पना को समझना चाहा ! इसके लिए वे भारत के अनेकों साधू संतो, रामकथा करने वालों से मिले और उनसे पूछते थे की भगवान श्री राम रामराज्य के बारे क्या कहा है ?? लेकिन कोई भी उत्तर उनको संतुष्ट नहीं कर पाया ! फिर उन्होने भारत मे लिखी सभी प्रकार की रामायणों का अध्यन किया और खुद ये हैरान हुए कि रामकथा मे से भारत की सभी समस्याओ का समाधान निकलता है ! फिर राजीव भाई घूम घूम कर खुद रामकथा करने लगे और उनकी रामकथा सभी संत और बाबाओ से अलग होती थी। वो सिर्फ उसी बात पर अधिक चर्चा करते जिसे अन्य संत तो बताते नहीं या वो खुद ही ना जानते है ! राजीव भाई लोगो को बताते कि किस प्रकार रामकथा मे भारत की सभी समस्याओ का समाधान निकलता है ! (इस बारे मे अधिक जानकारी के लिए आप राजीव भाई की रामकथा वाला व्याख्यान सुन सकते हैं)

2009 मे राजीव भाई बाबा रामदेव के संपर्क मे आए और बाबा रामदेव को देश की गंभीर समस्याओ और उनके समाधानोॉ से परिचित करवाया और विदेशों मे जमा कालेधन आदि के विषय मे बताया। उनके साथ मिल कर आंदोलन को आगे बढाने का फैसला किया ! आजादी बचाओ के कुछ कार्यकर्ता राजीव भाई के इस निर्णय से सहमत नहीं थे ! फिर भी राजीव भाई ने 5 जनवरी 2009 को भारत स्वाभिमान न्यास की नीव रखी ! जिसका मुख्य उदेश्य लोगो को अपनी विचार धारा से जोडना, उनको देश की मुख्य समस्याओ का कारण और समाधान बताना ! योग और आयुर्वेद से लोगो को निरोगी बनाना और भारत स्वाभिमान न्यास के साथ जोड कर 2014 मे देश से अच्छे लोगो को आगे लाकर एक नई पार्टी का निर्माण करना था जिसका उदेश्य भारत मे चल रही अँग्रेजी व्यवस्थाओ को पूर्ण रूप से खत्म करना, विदेशों मे जमा काला धन, वापस लाना, गौ हत्या पर पूर्ण रूप से प्रतिबंध लगाना और एक वाक्य मे कहा जाए तो आंदोलन सम्पूर्ण आजादी को लाने के लिए शुरू किया गया था !!


राजीव भाई के व्याख्यान सुन कर मात्र ढाई महीने मे 6 लाख कार्यकर्ता पूरे देश मे प्रत्यक्ष रूप मे इस अंदोलन से जुड गए थे राजीव भाई पतंजलि मे भारत स्वाभिमान के कार्यकर्ताओ के बीच व्याख्यान दिया करते थे जो पतंजलि योगपीठ के आस्था चैनल पर के माध्यम से भारत के लोगो तक पहुंचा करते थे। इस प्रकार अप्रत्यक्ष रूप से भारत स्वाभिमान ट्रस्ट के साथ 3 से 4 करोड लोग जुड गए थे ! फिर राजीव भाई भारत स्वाभिमान न्यास के प्रतिनिधि बनकर पूरे भारत की यात्रा पर निकले। गाँव-गाँव, शहर-शहर जाया करते थे। पहले की तरह व्याख्यान देकर लोगो को भारत स्वाभिमान से जुडने के लिए प्रेरित करते थे !


लगभग आधे भारत की यात्रा करने के बाद राजीव भाई 26 नवंबर 2010 को उडीसा से छतीसगढ राज्य के एक शहर रायगढ पहुंचे वहाँ उन्होने 2 जन सभाओ को आयोजित किया ! इसके पश्चात अगले दिन 27 नवंबर 2010 को जांजगीर जिले मे दो विशाल जन सभाए की। इसी प्रकार 28 नवंबर को बिलासपुर जिले मे व्याख्यान देने से पश्चात 29 नवंबर 2010 को छतीसगढ के दुर्ग जिले मे पहुंचे ! उनके साथ छतीसगढ के राज्य प्रभारी दया सागर और कुछ अन्य लोग साथ थे ! दुर्ग जिले मे उनकी दो विशाल जन सभाए आयोजित थी पहली जनसभा तहसील बेमतरा मे सुबह 10 बजे से दोपहर 1 बजे तक थी !राजीव भाई ने विशाल जन सभा को आयोजित किया ! इसके बाद का कार्यक्रम सायं 4 बजे दुर्ग मे था ! जिसके लिए वह दोपहर 2 बजे बेमेतरा तहसील से रवाना हुए !

(इसके बात की घटना विश्वास योग्य नहीं है इसके बाद की सारी घटना उस समय उपस्थित छतीसगढ के प्रभारी दयासागर और कुछ अन्य साथियो द्वारा बताई गई है)

उन लोगो का कहना है गाडी मे बैठने के बाद उनका शरीर पसीना पसीना हो गया ! दयासागर ने राजीव जी से पूछा तो जवाब मिला की मुझे थोडी गैस सीने मे चढ गई है शोचलाय जाऊँ तो ठीक हो जाऊंगा !

फिर दयासागर तुरंत उनको दुर्ग के अपने आश्रम मे ले गए वहाँ राजीव भाई शोचालय गए और जब कुछ देर बाद बाहर नहीं आए तो दयासागर ने उनको आवाज दी । राजीव भाई ने दबी दबी आवाज मे कहा गाडी स्टार्ट करो मैं निकल रहा हूँ ! जब काफी देर बाद राजीव भाई बाहर नहीं आए तो दरवाजा खोला गया राजीव भाई पसीने से लथपत होकर नीचे गिरे हुए थे ! उनको बिस्तर पर लिटाया गया और पानी छिडका गया दयासागर ने उनको अस्पताल चलने को कहा ! राजीव भाई ने मना कर दिया उन्होने कहा होमियोपैथी डॉक्टर को दिखाएंगे !

थोडी देर बाद होमियोपैथी डॉक्टर आकर उनको दवाइयाँ दी ! फिर भी आराम ना आने पर उनको भिलाई से सेक्टर 9 मे इस्पात स्वयं अस्पताल मे भर्ती किया गया ! इस अस्पताल मे अच्छी सुविधाइए ना होने के कारण उनको चवससव ठैत् मे भर्ती करवाया गया ! राजीव भाई एलोपेथी चिकित्सा लेने से मना करते रहे ! उनका संकल्प इतना मजबूत था कि वो अस्पताल मे भर्ती नहीं होना चाहते थे ! उनका कहना था कि सारी जिंदगी एलोपेथी चिकित्सा नहीं ली तो अब कैसे ले लू ? ! ऐसा कहा जाता है कि इसी समय बाबा रामदेव ने उनसे फोन पर बात की और उनको आईसीयु मे भर्ती होने को कहा !

फिर राजीव भाई 5 डॉक्टरों की टीम के निरीक्षण मे आईसीयु भर्ती हुए !! उनकी अवस्था और भी गंभीर होती गई और रात्रि एक से दो के बीच डॉक्टरों ने उन्हे मृत घोषित कर दिया !

(बेमेतरा तहसील से रवाना होने के बाद ये सारी घटना राज्य प्रभारी दयासागर और अन्य अधिकारियों द्वारा बताई गई है अब ये कितनी सच है या झूठ ये तो उनके नार्को टेस्ट करने से ही पता चलेगा !!)

क्योकि राजीव जी की मृत्यु का कारण दिल का दौरा बता कर सब तरफ प्रचारित किया गया ! 30 नवंबर को उनके मृत शरीर को पतंजलि लाया गया जहां हजारो की संख्या मे लोग उनके अंतिम दर्शन के लिए पहुंचे ! और 1 दिसंबर राजीव जी का दाह संस्कार कनखल हरिद्वार मे किया गया !


राजीव भाई के चाहने वालों का कहना है कि अंतिम समय मे राजीव जी का चेहरा पूरा हल्का नीला, काला पड गया था ! उनके चाहने वालों ने बार-बार उनका पोस्टमार्टम करवाने का आग्रह किया लेकिन पोस्टमार्ट्म नहीं करवाया गया ! राजीव भाई की मौत लगभग भारत के प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री जी की मौत से मिलती जुलती है । आप सबको याद होगा ताशकंद से जब शास्त्री जी का मृत शरीर लाया गया था तो उनके भी चेहरे का रंग नीला, काला पड गया था ! और अन्य लोगो की तरह राजीव भाई भी ये मानते थे कि शास्त्री जी को विष दिया गया था ! राजीव भाई और शास्त्री जी की मृत्यु मे एक जो समानता है कि दोनों का पोस्टमार्टम नहीं हुआ था !!


राजीव भाई की मृत्यु से जुडे कुछ सवाल !!

किसके आदेश पर ये प्रचारित किया गया कि राजीव भाई की मृत्यु दिल का दौरा पडने से हुयी है ?

29 नवंबर दोपहर 2 बजे बेमेतरा से निकलने के पश्चात जब उनको गैस की समस्या हुई और रात 2 बजे जब उनको मृत घोषित किया गया। इसके बीच मे पूरे 12 घंटे का समय था 12 घंटे मे मात्र एक गैस की समस्या का समाधान नहीं हो पाया ?

आखिर पोस्ट मार्टम करवाने मे क्या तकलीफ थी ??

राजीव भाई का फोन जो हमेशा आन रहता था उस 2 बजे बाद बंद क्यों था ??

राजीव भाई के पास एक थैला रहता था जिसमे वो हमेशा आयुर्वेदिक, होमियोपैथी दवाएं रखते थे वो थैला खाली क्यों था ??

30 नवंबर को जब उनको पतंजलि योगपीठ मे अंतिम दर्शन के लिए रखा गया था उनके मुंह और नाक से क्या टपक रहा था उनके सिर को माथे से लेकर पीछे तक काले रंग के पालिथीन से क्यूँ ढका था ?

राजीव भाई की अंतिम विडियो जो आस्था चैनल पर दिखाई गई तो उसको एडिट कर चेहरे का रंग सफेद कर के क्यों दिखाया गया ? अगर किसी के मन मैं चोर नहीं था तो विडियो एडिट करने की क्या जरूरत थी ??

अंत पोस्टमार्टम ना होने के कारण उनकी मृत्यु आजतक एक रहस्य ही बन कर रह गई !!

राजीव भाई के कई समर्थक उनके जाने के बाद बाबा रामदेव से काफी खफा है क्योंकि बाबा रामदेव अपने एक व्याख्यान मे कहा कि राजीव भाई को हार्ट ब्लोकेज था, शुगर की समस्या थी, बी.पी. भी था राजीव भाई पतंजलि योगपीठ की बनी दवा मधुनाशनी खाते थे ! जबकि राजीव भाई खुद अपने एक व्याख्यान मे बता रहे हैं कि उनका शुगर, बीपी, कोलेस्ट्रोल सब नार्मल है ! वे पिछले 20 साल से डॉक्टर के पास नहीं गए और अगले 15 साल तक जाने की संभावना नहीं ! और राजीव भाई के चाहने वालो का कहना है कि हम कुछ देर के लिए राजीव भाई की मृत्यु पर प्रश्न नहीं उठाते लेकिन हमको एक बात समझ नहीं आती कि पतंजलि योगपीठ वालों ने राजीव भाई की मृत्यु के बाद उनको तिरस्कृत करना क्यों शुरू कर दिया ?? मंचो के पीछे उनकी फोटो क्यों नहीं लगाई जाती ?? आस्था चैनल पर उनके व्याख्यान दिखने क्यों बंद कर दिये गए ?? कभी साल अगर उनकी पुण्यतिथि पर व्याख्यान दिखाये भी जाते है तो वो भी 2-3 घंटे के व्याख्यान को काट काट कर एक घंटे का बनाकर दिखा दिया जाता है !!


इसके अतिरिक्त उनके कुछ समर्थक कहते हैं कि भारत स्वाभिमान आंदोलन की स्थापना जिस उदेश्य के लिए हुए थी राजीव भाई की मृत्यु के बाबा रामदेव उस राह हट क्यों गए ? राजीव भाई और बाबा खुद कहते थे कि सब राजनीतिक पार्टियां एक जैसी है हम 2014 मे अच्छे लोगो को आगे लाकर एक नया राजनीतिक विकल्प देंगे ! लेकिन राजीव भाई की मृत्यु के बाद बाबा रामदेव ने भारत स्वाभिमान के आंदोलन की दिशा बदल दी और राजीव की सोच के विरुद्ध आज वो भाजपा सरकार का समर्थन कर रहें हैं !! इसलिए बहुत से राजीव भाई के चाहने वाले भारत स्वाभिमान से हट कर अपने अपने स्तर पर राजीव भाई का प्रचार करने मे लगे हैं !!

राजीव भाई ने अपने पूरे जीवन मे देश भर मे घूम घूम कर 5000 से ज्यादा व्याख्यान दिये !सन 2005 तक वह भारत के पूर्व से पश्चिम उत्तर से दक्षिण चार बार भ्रमण कर चुके थे !! उन्होने विदेशी कंपनियो की नाक मे दम कर रखा था !

भारत के किसी भी मीडिया चैनल ने उनको दिखाने का साहस नहीं किया !! क्योकि वह देश से जुडे ऐसे मुद्दो पर बात करते थे की एक बार लोग सुन ले तो देश मे 1857 से बडी क्रांति हो जाती ! वह ऐसे ओजस्वी वक्ता थे जिनकी वाणी पर माँ सरस्वती साक्षात निवास करती थी। जब वे बोलते थे तो स्रोता घण्टों मन्त्र-मुग्ध होकर उनको सुना करते थे ! 30 नवम्बर 1967 को जन्मे और 30 नवंबर 2010 को ही संसार छोडने वाले ज्ञान के महासागर श्री राजीव दीक्षित जी आज केवल आवाज के रूप मे हम सबके बीच जिंदा है उनके जाने के बाद भी उनकी आवाज आज देश के लाखो करोडो लोगो का मार्गदर्शन कर रही है और भारत को भारत की मान्यताओं के आधार पर खडा करने आखिरी उम्मीद बनी हुई है !


राजीव भाई को शत शत नमन !!