भोजन चबा-चबा कर खाये। जितने मुँह में दाँत उतनी बार भोजन चबाये। रोटी के टुकड़े का मुंह में पूरा रस बनाये।
पानी हमेशा घूंट-घूंट पीये। पानी हमेशा बैठकर पीये।
भोजन पालथी मारकर, जमीन पर बैठकर खाये। राजीव दीक्षित जी मजाक में कहते हैं, आजकल बफ़ेलो सिस्टम (खड़े-खड़े भोजन करने का फैशन चल रहा है) ऐसे में आपको शर्म आये, तो चिंता ना करे, आप नीचे बैठकर खाये, बाकी लोग भी आपकी नकल करने लगेंगे और नींचे बैठकर खायेंगे। कुर्सी पर कभी खाना खाने की मजबूरी हो, तो कुर्सी पर ही पालथी मार कर बैठ जाओ।
पानी हमेशा लोटे में पीये। इसका भी एक वैज्ञानिक कारण हैं।
भोजन करने से पहले अपने इष्टदेवता या किसी भी भगवान का नाम लेकर हाथ जोड़कर नाम जरूर ले उसके बाद भोजन करे ऐसा करने से भोजन पोषित हो जाता हैं, उसमे दिव्य गुण आ जाते हैं।
भूल से वीर्य वेग न करे,यह ओज हैं लेकिन आप (गृहस्थ) शादी- शुदा हैं, तो आप वीर्य ना रोके। साधू, सन्यासी, तेजस्वी और तपस्वी लोग वीर्य स्खलन ना करें।
तांबे के बर्तन का पानी तीन महीने ही पीये। उसके बाद मत पीना वरना ताम्र की बीमारिया आयेंगी।
प्रतिदिन गोमूत्र का सेवन करने वाले को कभी कैंसर नही होंगा।
रिफाइंड तेल खाना आज ही छोड़ दे। चालीस प्रकार की बीमारिया नही आयेंगी। कैंसर, मुंह पर मस्से हो जाना, दाग धब्बे आना, पिम्पल्स होना, अल्सर, पेट की बीमारियों की कारण बनता है, प्रतिदिन बाजार में मिलने वाला पाम ऑइल, रिफाइंड तेल खाने से।
जिस भी व्यक्ति के घर के आंगन में नीम का पेड़ हैं, उसके घर में कभी 200-250 प्रकार के बैक्टीरिया- वायरस नही आयेंगे।
दूध हमेशा शाम को पीये व देशी भारतीय गौमाता का पीये। छाछ हमेशा दोपहर को पीये।
फलो का रस हमेशा सुबह को पीये। आप फलाहार चिकित्सा से भी शरीर की सारी बीमारियों को ठीक कर सकते हैं, इसके लिए आपको राजीव दीक्षित जी के वर्तमान के दूसरे रूप/अवतार आयुर्वेदिक डॉक्टर बिसरूप रॉय चौधरी जी पोस्ट पढ़नी पडेंगी
मिट्टी के बर्तन ( हांडी ) में दाल, चावल व खिचड़ी पकाये। इससे इन सब की पोषणता बनी रहेंगी। हमारे शरीर को हर दिन 18 सूक्ष्म तत्वों की जरुरत होती है। और यह सब मिट्टी के बर्तन में मौजूद हैं।
सभी प्रकार के कान के दर्द, कान में कचरा आना, आवाज आना, इसका इलाज – एक बूंद गौमूत्र सुबह शाम कान में डाले पांच दिन लगातार करे, विश्वास माने पूरा कचरा निकल जायेगा और प्राकृतिक तरीके से कान की सभी समस्याओ का समाधान हो जायेगा।