Sun. Apr 27th, 2025

राजीव दीक्षित (30 नवम्बर 1967 – 30 नवम्बर 2010) एक भारतीय वैज्ञानिक, प्रखर वक्ता और आजादी बचाओ आन्दोलन के संस्थापक थे।. बाबा रामदेव ने उन्हें भारत स्वाभिमान (ट्रस्ट) के राष्ट्रीय महासचिव का दायित्व सौंपा था, जिस पद पर वे अपनी मृत्यु तक रहे। वे राजीव भाई के नाम से अधिक प्रसिद्ध थे।

राजीव दीक्षित का जन्म उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ जनपद की अतरौली तहसील के नाह गाँव में राधेश्याम दीक्षित एवं मिथिलेश कुमारी के यहाँ 30 नवम्बर 1967 को हुआ था। फिरोजाबाद से इण्टरमीडिएट तक की शिक्षा प्राप्त करने के उपरान्त उन्होंने इलाहाबाद से बी० टेक० तथा भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान कानपुर से एम० टेक० की उपाधि प्राप्त की। उन्होंने कुछ समय भारत के सीएसआईआर तथा फ्रांस के टेलीकम्यूनीकेशन सेण्टर में काम भी किया। तत्पश्चात् वे भारत के पूर्व राष्ट्रपति डॉ॰ ए पी जे अब्दुल कलाम के साथ जुड़ गये। इसी बीच उनकी प्रतिभा के कारण सीएसाअईआर में कुछ परियोजनाओ पर काम करने और विदेशो में शोध पत्र पढने का मौका भी मिला। वे भगतसिंह, उधमसिंह, और चंद्रशेखर आजाद जैसे महान क्रांतिकारियों से प्रभावित रहे। बाद में जब उन्होंने गांधीजी को पढ़ा तो उनसे भी प्रभावित हुए।
दीक्षित ने 20 वर्षों में लगभग 12000 से अधिक व्याख्यान दिये। भारत में 5000 से अधिक विदेशी कम्पनियों के खिलाफ उन्होंने स्वदेशी आन्दोलन की शुरुआत की। उन्होंने 9 जनवरी 2009 को भारत स्वाभिमान ट्रस्ट का दायित्व सँभाला।

दीक्षित ने स्वदेशी आन्दोलन तथा आज़ादी बचाओ आन्दोलन की शुरुआत की तथा इनके प्रवक्ता बने।
उन्होंने जनवरी 2009 में भारत स्वाभिमान न्यास की स्थापना की तथा इसके राष्ट्रीय प्रवक्ता एवं सचिव बने।

30 नवम्बर 2010 को दीक्षित को अचानक दिल का दौरा पड़ने के बाद पहले भिलाई के सरकारी अस्पताल ले जाया गया उसके बाद अपोलो बी०एस०आर० अस्पताल में दाखिल कराया गया। उन्हें दिल्ली ले जाने की तैयारी की जा रही थी लेकिन इसी दौरान स्थानीय डाक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। डाक्टरों का कहना था कि उन्होंने ऍलोपैथिक इलाज से लगातार परहेज किया। चिकित्सकों का यह भी कहना था कि दीक्षित होम्योपैथिक दवाओं के लिये अड़े हुए थे। अस्पताल में कुछ दवाएँ और इलाज से वे कुछ समय के लिये बेहतर भी हो गये थे मगर रात में एक बार फिर उनको गम्भीर दौरा पड़ा जो उनके लिये घातक सिद्ध हुआ।
लगभग आधे भारत की यात्रा करने के बाद राजीव भाई 26 नवंबर 2010 को उडीसा से छतीसगढ राज्य के एक शहर रायगढ पहुंचे वहाँ उन्होने 2 जन सभाओ को आयोजित किया ! इसके पश्चात अगले दिन 27 नवंबर 2010 को जंजगीर जिले मे दो विशाल जन सभाए की इसी प्रकार 28 नवंबर बिलासपुर जिले मे व्याख्यान देने से पश्चात 29 नवंबर 2010 को छतीसगढ के दुर्ग जिले मे पहुंचे ! उनके साथ छतीसगढ के राज्य प्रभारी दया सागर और कुछ अन्य लोग साथ थे ! दुर्ग जिले मे उनकी दो विशाल जन सभाए आयोजित थी पहली जनसभा तहसील बेमतरा मे सुबह 10 बजे से दोपहर 1 बजे तक थी !राजीव भाई ने विशाल जन सभा को आयोजित किया !! इसके बाद का कार्यक्रम साय 4 बजे दुर्ग मे था !! जिसके लिए वह दोपहर 2 बजे बेमेतरा तहसील से रवाना हुए !

30 नवम्बर 2010 को दीक्षित को अचानक दिल का दौरा पड़ने के बाद पहले भिलाई के सरकारी अस्पताल ले जाया गया उसके बाद अपोलो बी०एस०आर० अस्पताल में दाखिल कराया गया। उन्हें दिल्ली ले जाने की तैयारी की जा रही थी लेकिन इसी दौरान स्थानीय डाक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। डाक्टरों का कहना था कि उन्होंने ऍलोपैथिक इलाज से लगातार परहेज किया। चिकित्सकों का यह भी कहना था कि दीक्षित होम्योपैथिक दवाओं के लिये अड़े हुए थे। अस्पताल में कुछ दवाएँ और इलाज से वे कुछ समय के लिये बेहतर भी हो गये थे मगर रात में एक बार फिर उनको गम्भीर दौरा पड़ा जो उनके लिये घातक सिद्ध हुआ। (इसके बात की घटना विश्वास योग्य नहीं है इसके बाद की सारी घटना उस समय उपस्थित छतीसगढ के प्रभारी दयासागर और कुछ अन्य साथियो द्वारा बताई गई है)
उन लोगो का कहना है गाडी मे बैठने के बाद उनका शरीर पसीना पसीना हो गया ! दयासागर ने राजीव जी से पूछा तो जवाब मिला की मुझे थोडी गैस सीने मे चढ गई है शोचलाय जाऊँ तो ठीक हो जाऊंगा !
फिर दयासागर तुरंत उनको दुर्ग के अपने आश्रम मे ले गए वहाँ राजीव भाई शोचालय गए और जब कुछ देर बाद बाहर नहीं आए तो दयासागर ने उनको आवाज दी राजीव भाई ने दबी दबी आवाज मे कहा गाडी स्टार्ट करो मैं निकल रहा हूँ ! जब काफी देर बाद राजीव भाई बाहर नहीं आए तो दरवाजा खोला गया राजीव भाई पसीने से लथपत होकर नीचे गिरे हुए थे ! उनको बिस्तर पर लिटाया गया और पानी छिडका गया दयासागर ने उनको अस्पताल चलने को कहा ! राजीव भाई ने मना कर दिया उन्होने कहा होमियोपैथी डॉक्टर को दिखाएंगे !
थोडी देर बाद होमियोपैथी डॉक्टर आकर उनको दवाइयाँ दी ! फिर भी आराम ना आने पर उनको भिलाई से सेक्टर 9 मे इस्पात स्वयं अस्पताल मे भर्ती किया गया ! इस अस्पताल मे अच्छी सुविधाइए ना होने के कारण उनको ।चवससव ठैत् मे भर्ती करवाया गया ! राजीव भाई एलोपेथी चिकित्सा लेने से मना करते रहे ! उनका संकल्प इतना मजबूत था कि वो अस्पताल मे भर्ती नहीं होना चाहते थे ! उनका कहना था कि सारी जिंदगी एलोपेथी चिकित्सा नहीं ली तो अब कैसे ले लू ? ! ऐसा कहा जाता है कि इसी समय बाबा रामदेव ने उनसे फोन पर बात की और उनको आईसीयु मे भर्ती होने को कहा !
फिर राजीव भाई 5 डॉक्टरों की टीम के निरीक्षण मे आईसीयु भर्ती करवाएगे !! उनकी अवस्था और भी गंभीर होती गई और रात्रि एक से दो के बीच डॉक्टरों ने उन्हे मृत घोषित किया !!
(बेमेतरा तहसील से रवाना होने के बाद की ये सारी घटना राज्य प्रभारी दयासागर और अन्य अधिकारियों द्वारा बताई गई है अब ये कितनी सच है या झूठ ये तो उनके नार्को टेस्ट करने ही पता चलेगा !!)
क्योकि राजीव जी की मृत्यु का कारण दिल का दौरा बता कर सब तरफ प्रचारित किया गया ! 30 नवंबर को उनके मृत शरीर को पतंजलि लाया गया जहां हजारो की संख्या मे लोग उनके अंतिम दर्शन के लिए पहुंचे ! और 1 दिसंबर राजीव जी का दाह संस्कार कनखल हरिद्वार मे किया गया !!

राजीव भाई के चाहने वालों का कहना है कि अंतिम समय मे राजीव जी का चेहरा पूरा हल्का नीला, काला पड गया था ! उनके चाहने वालों ने बार-बार उनका पोस्टमार्टम करवाने का आग्रह किया लेकिन पोस्टमार्ट्म नहीं करवाया गया !! राजीव भाई की मौत लगभग भारत के प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री जी की मौत से मिलती जुलती है आप सबको याद होगा ताशकंद से जब शास्त्री जी का मृत शरीर लाया गया था तो उनके भी चेहरे का रंग नीला, काला पड गया था !! और अन्य लोगो की तरह राजीव भाई भी ये मानते थे कि शास्त्री जी को विष दिया गया था !! राजीव भाई और शास्त्री जी की मृत्यु मे एक जो समानता है कि दोनों का पोस्टमार्टम नहीं हुआ था !!
राजीव भाई की मृत्यु से जुडे कुछ सवाल !!

किसके आदेश पर ये प्रचारित किया गया ? कि राजीव भाई की मृत्यु दिल का दौरा पडने से हुयी है ?
29 नवंबर दोपहर 2 बजे बेमेतरा से निकलने के पश्चात जब उनको गैस की समस्या हुए और रात 2 बजे जब उनको मृत घोषित किया गया इसके बीच मे पूरे 12 घंटे का समय था 12 घंटे मे मात्र एक गैस की समस्या का समाधान नहीं हो पाया ??
आखिर पोस्ट मार्टम करवाने मे क्या तकलीफ थी ??
राजीव भाई का फोन जो हमेशा आन रहता था उस 2 बजे बाद बंद क्यों था ??
राजीव भाई के पास एक थैला रहता था जिसमे वो हमेशा आयुर्वेदिक, होमियोपैथी दवाएं रखते थे वो थैला खाली क्यों था ??
30 नवंबर को जब उनको पतंजलि योगपीठ मे अंतिम दर्शन के लिए रखा गया था उनके मुंह और नाक से क्या टपक रहा था उनके सिर को माथे से लेकर पीछे तक काले रंग के पालिथीन से क्यूँ ढका था ?
राजीव भाई की अंतिम विडियो जो आस्था चैनल पर दिखाई गई तो उसको एडिट कर चेहरे का रंग सफेद कर क्यों दिखाया गया ?? अगर किसी के मन को चोर नहीं था तो विडियो एडिट करने की क्या जरूरत थी ??
अंत पोस्टमार्टम ना होने के कारण उनकी मृत्यु आजतक एक रहस्य ही बन कर रह गई !!

राजीव भाई के कई समर्थक उनके जाने के बाद बाबा रामदेव से काफी खफा है क्योंकि बाबा रामदेव अपने एक व्याख्यान मे कहा कि राजीव भाई को हार्ट ब्लोकेज था, शुगर की समस्या थी, बी.पी. भी था राजीव
भाई पतंजलि योगपीठ की बनी दवा मधुनाशनी खाते थे ! जबकि राजीव भाई खुद अपने एक व्याख्यान मे बता रहे हैं कि उनका शुगर, बीपी, कोलेस्ट्रोल सब नार्मल है !! वे पिछले 20 साल से डॉक्टर के पास नहीं गए ! और अगले 15 साल तक जाने की संभावना नहीं !! और राजीव भाई के चाहने वालो का कहना है कि हम कुछ देर के लिए राजीव भाई की मृत्यु पर प्रश्न नहीं उठाते लेकिन हमको एक बात समझ नहीं आती कि पतंजलि योगपीठ वालों ने राजीव भाई की मृत्यु के बाद उनको तिरस्कृत करना क्यों शुरू कर दिया ?? मंचो के पीछे उनकी फोटो क्यों नहीं लगाई जाती ?? आस्था चैनल पर उनके व्याख्यान दिखने
क्यों बंद कर दिये गए ?? कभी साल अगर उनकी पुण्यतिथि पर व्याख्यान दिखाये भी जाते है तो वो भी 2-3 घंटे के व्याख्यान को काट काट कर एक घंटे का बनाकर दिखा दिया जाता है !!
इसके अतिरिक्त उनके कुछ समर्थक कहते हैं कि भारत स्वाभिमान आंदोलन की स्थापना जिस उदेश्य के लिए हुए थी राजीव भाई की मृत्यु के बाबा रामदेव उस राह हट क्यों गए ? राजीव भाई और बाबा खुद कहते थे कि सब राजनीतिक पार्टियां एक जैसी है हम 2014 मे अच्छे लोगो को आगे लाकर एक नया राजनीतिक विकल्प देंगे ! लेकिन राजीव भाई की मृत्यु के बाद बाबा रामदेव ने भारत स्वाभिमान के आंदोलन की दिशा बदल दी और राजीव की सोच के विरुद्ध आज वो भाजपा सरकार का समर्थन कर रहें !! इसलिए बहुत से राजीव भाई के चाहने वाले भारत स्वाभिमान से हट कर अपने अपने स्तर पर राजीव भाई का प्रचार करने मे लगे हैं !!
राजीव भाई ने अपने पूरे जीवन मे देश भर मे घूम घूम कर 5000 से ज्यादा व्याख्यान दिये !सन 2005 तक वह भारत के पूर्व से पश्चिम उत्तर से दक्षिण चार बार भ्रमण कर चुके थे !! उन्होने विदेशी कंपनियो की नाक मे दम कर रखा था !
भारत के किसी भी मीडिया चैनल ने उनको दिखाने का साहस नहीं किया !! क्योकि वह देश से जुडे ऐसे मुद्दो पर बात करते थे की एक बार लोग सुन ले तो देश मे 1857 से बडी क्रांति हो जाती ! वह ऐसे ओजस्वी वक्ता थे जिनकी वाणी पर माँ सरस्वती साक्षात निवास करती थी। जब वे बोलते थे तो स्रोता घण्टों मन्त्र-मुग्ध होकर उनको सुना करते थे ! 30 नवम्बर 1967 को जन्मे और 30 नवंबर 2010 को ही संसार छोडने वाले ज्ञान के महासागर श्री राजीव दीक्षित जी आज केवल आवाज के रूप मे हम सबके बीच जिंदा है उनके जाने के बाद भी उनकी आवाज आज देश के लाखो करोडो लोगो का मार्गदर्शन कर रही है और भारत को भारत की मान्यताओं के आधार पर खडा करने आखिरी उम्मीद बनी हुई है !

By admin

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

दूसरी भाषा चुनें »