प्रबन्धक के कार्य:-
(१)संगठन के प्रचार-प्रसार के लिए योजना बनाना एवं क्रियान्वित करना ।
(२) संगठन के उद्देश्यों की पूर्ति के लिए समय-समय पर बैठक बुलाकर संगठन के हित में विचार-विमर्श करना।
(३) जरूरत पड़ने पर संस्थापक से सलाह लेते रहना।
(४)सदस्यों के बीच समन्वय स्थापित रखना, ताकि किसी तरह का मतभेद या मनभेद न हो।
(६) अपने जैसा सदस्य बनाना, ताकि संगठन अपने लक्ष्य को प्राप्त कर सके।
(७) नए सदस्यों को जिम्मेदारी देना फिर आकलन करते रहना।
(८) सदस्यों के बीच कुछ नए सुझाव आने पर प्रशिक्षण देना, ताकि उनको सही जानकारी मिल सके।
(९) व्यक्तिगत व सामाजिक जीवन में पारदर्शिता बनाए रखना।(१०) कभी भी स्वार्थ की दृष्टि से व्यक्तिगत लाभ के लिए कार्य नहीं करना।